अपने वतन के वास्ते मरना है जिन्दगी ]ग़म दूसरों के वास्ते सहना है जिन्दगी । इन पंक्तियों के माध्यम से जिन्दगी के असली मकसद को सामने लाने का प्रयास किया है डी डी राउत मानव ने । करवट कला परिषद के तत्वावधान में प्रभात साहित्य परिषद एवं दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डलिपि संग्रहालय के सहयोग से दिनांक 22 जून 2010 को मानव के जन्म दिन पर उनकी तीसरी कृति ‘ आंख में बादल ‘ ग़ज़ल स्रग्रह का लोकार्पण किया गया ।कार्यक्र के शुरूआत में राजुरकर राज ने मानव की पांच ग़ज़लों का पाठ किया । इस अवसर पर कथाकार लक्ष्मीनारायण पयोधि ने कहा कि यह ग़ज़ल संग्रह एक ईमानदार रचनाकार की सच्ची अनुभूति है,जिसमें एक आम आदमी की वर्तमान दशा के प्रतिबिम्ब साफ देखे जा सकते हैं । उन्होने कहा कि ग़ज़ल के माध्यम से मानव ने कमजोर वर्ग के दर्द को आवाज दी है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार राजेश जोशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, मैं कामना करता हूं कि रचनारों को दीर्घायु के साथ साथ लम्बी सृजन आयु भी मिलें।कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर शफक तनवीर ने की । इससे पहलs श्री मानव के दो संग्रह ‘धम्मपद ‘ पालि से हिन्दी पद्यानुवाद और ‘ पीड़ा के शिलालेख’ काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । मानव को इससे पहले डा अम्बेडकर साहित्य सेवा सम्मान,महाराष्ट दलित साहित्य अकादमी सम्मान और रत्न भारती ,करवट कला परिषद, जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। कार्यक्रम का संचालन रमेश नन्द ने किया ।
आंख में बादल -पुस्तक लोकार्पण

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